LOG DIKHAWA KYU KARTE HAI | शो ऑफ ( Show-Off ) करके वो क्या बताना चाहते है?

Log dikhawa kyu karte hai
Log dikhawa kyu karte hai
Log dikhawa kyu karte hai ? शो ऑफ ( Show-Of ) करके वो क्या बताना चाहते है। 

हर किसी ने अपने जीवन को अपने ढंग से जिया है और जी रहे है । ऐसे में हर इंसान की अपनी एक अलग सोच और अपना जीने का तरीका है, लेकिन हम सभी पर बिना भेदभाव किये एक ही नियम लागू होता है वो है प्रकृति का, और प्रकृति का तरीका बस एक है। "ऐसा वो क्यों करते हैं" पर ये मेरी अपनी राय / समझ है, हो सकता है आप इससे सहमत हो या न हो लेकिन चलिए पहले जानते है, Log dikhawa kyu karte hai पर औरो के क्या विचार है :

  • रमेश किराना वाला - क्योंकि जो दिखता है, वही बिकता है।
  • राहुल करोड़पति - लोगों में मेरा सम्मान बढ़े, इसलिये दिखावा करते हैं।
  • मजनू भाई - दुसरो को इमप्रेस करने के लिए। 
  • विकास कानपूर से - लोग समाज में खुद को औरों से बड़ा दिखाने के लिए, धनवान दिखाने के लिए, संपन्न दिखाने के लिए, बुद्धिमान दिखाने के लिए दिखावा करते हैं। 
  • डॉ. जीवहरे - क्योकि उनको अच्छा लगता है।
  • अक्षय - पैसे का चक्कर है बाबू भैया, पैसे का। 

जैसा की मैंने पहले ही कहा हर किसी की अलग राय होती है , लेकिन सच कुछ और है जिसे हम में से बहुत से लोग देख नहीं पाते। आइये समझते है इसे - 

यह बात बिल्कुल सच है कि आजकल  के लोग दिखावे पर विश्वास करते हैं और दिखावा भी बढ़-चढ़ के करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है, Society / समाज ।

यहाँ पर इस बात को समझना चाहिए कि : " हम समाज को कोसते है और और हम ही समाज है / "We blame the society but we are the society"

तो समाज की विचारधारा की वजह से ही आज अधिकतर लोगों में दिखावे का व्यवहार बढ़ गया है, क्योंकि समाज हमे और हमारे पैसे से अमीर या गरीब होने का निष्कर्ष निकलते है। स्टेटस, संपत्ति, कपड़े आदि से इंसानो को जज किया जाने लगा है। वैसे तो हर इंसान यही चाहता है, की अगर वो समाज में लोगो के साथ रह रहा तो उसे इज्जत मिले, लोग उसकी बात माने और इसी जरुरत के चलते दिखवा करने का ट्रेंड सा चल रहा है आजकल।

मेरे जीवन से जुडी ऐसी कुछ सच्चाई है जो इस दिखावा करने की मानसिकता हो बहुत अच्छे से समझाता है , घटना को छोटा करके बता रहा हूँ:-  

बात है कॉलेज के शुरुआती दिनों की, एक ही क्लास में सभी स्टूडेंट्स एक दूसरे से बिलकुल अनजान और फिर कुछ हफ्तों तक बोलचाल बढ़ा। मेरे 4 अच्छे दोस्त बने " रेखा, हेमा, जया और शुष्मा " (नाम में परिवर्तन) 

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गहरी काली आँखे, लम्बे सुनहरे बाल अक्सर मुझे आकर्षित करते थे। कार के आना जाना और अक्सर शॉपिंग और खाने की बाते करना, बातो से हसमुख थी। 

ख़ैर कॉलेज बीत गया और सब अपनी अपनी जगह मस्त थे , रिया और हेमा की शादी हो चुकी और जया कॉलेज में पढ़ाती है। चारो को मिले सालो हो गए थे और फिर शुष्मा में Birthday में हम तीनो जाया से मिलने पहुंचे। 7 घंटे के लम्बे सफर के बाद आलिशान गाड़िया, बड़ा सा Swimming पूल वाले घर के गेट में हमे जया मिल गयी। मेल-मिलाप हुआ लेकिन हैरानी भी हुई। 

जया ने घर पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है कहकर पीछे वाले एक 1 BHK घर  में ले गयी। खुद बैठा हुआ पुराना सोफा और बेड पर पड़ी कुछ किताबे सारा किस्सा बता रही थी। वह से वापस आने के बाद हम सब आश्चर्य में थे की जया उस माकन मालिक के ड्राइवर की बेटी है।हालांकि हम तीनो ने इस बात को सीक्रेट ही रखा ताकि जया को शर्मिंदगी न हो।     

तब मैंने असल में जाना की लोग दिखावा क्यों करते है -

इंसान हमेशा खुद से बहुत प्यार करता है। इसलिए खुद की नज़रों में हीरो/हीरोइन बने रहने की भरपूर कोशिश करता है। हर ख़्वाइश पूरी हो ये ज़रूरी तो नहीं मगर इंसान खुद के चश्मे से खुद को उस कल्पना-लोक में देखकर प्रसन्न होता है। वह कमी जो इंसान को अपने व्यक्तित्व या अपनी सामाजिक स्थिति में नज़र आती है ,उसे वह दिखावे के रूप में पूरा करता है।

मांगी हुई महंगी कार से बारात निकालना हो, या नकली ब्रांड की घड़ियाँ - जूते खरीदना नकली ज़ेवर हो या शादी के लिए लड़कों की सैलरी बढ़ चढ़ कर बताना। कमज़ोर आदमी द्वारा अपनी शक्ति का बखान और कम सुंदर लड़की द्वारा अपने पीछे आशिकों की लाइन की कल्पना, सब दिखावे के जीते-जागते उदाहरण हैं।

वजह बस इतनी सी है कि - कुछ पल के लिए अपने सपने में लेने की खुशी।

हमे समझना चाहिए जिस तरह हाथो की 11 उंगलिया बराबर नहीं होती वैसे ही हर कोई एक खास गुण में बराबर नहीं हो सकता । हम खुद के बनाये नियम-कानून के हिसाब से लोगो को सफल या असफल, सुन्दर या खराब मान लेते है। यही बेहतरीन ज़िन्दगी की कसौटी मानी जाती है। ऐसे में उनका क्या जो इन सब में खरे नहीं उतरते ?

मेरा मानना है दिखावा बस कुछ पल की खुशी और खुद को दूसरे से बड़ा होने की हीन भावना के सिवा कुछ भी नहीं। भले ही कोई दिखावे के दम पर कुछ पल की ख़ुशी हासिल कर ले लेकिन सच हरदम एक ही रहता है। जिसे प्रकृति तय करती है आपकी मेहनत देख कर। 

ऐसे लोग जो दिखावा करते है घृणा के नहीं, दया के पात्र होते हैं,

मुझे उम्मीद है कि इस पोस्ट से आप सब को समझ आ गया होगा की "Log dikhawa kyu karte hai" कही कोई भूल-चूक, गलती या सुधार हो तो कमेंट करके जरूर बताये और अगर आपको ये पोस्ट पसंद आया तो अपने दोस्तों-परिवार में शेयर करें। 

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